Sunday, February 17, 2013 | By: Unknown

कल और आज ...

कल मैं था, तू थी -
और संग तेरी खामोशी थी
कुछ अदाएं तेरी, कुछ सरगोशी थी
तेरा नशा-सा था मुझ पर
एक मदहोशी-सी थी
कल मैं था, तू थी ।
शमा हसीन था, फ़िज़ा में रवानी थी
तेरी ज़ुल्फ़ों की अठखेलियाँ थी गिर्द
हर चीज़ लगती रुहानी थी
कल मैं था, तू थी ।
तेरे चेहरे पे गरमजोशी थी
मैं करीब था तेरे, तू मेरे
उलझनों से परे ज़िन्दगानी थी ।

Ravi Sisodia 'Pankh'
 
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